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दहेज प्रथा कानून – Dahej Pratha Kanoon in Hindi 💰

Dahej pratha act

हेज निषेध अधिनियम, 1961 भारत में दहेज लेने या देने को अपराध बनाने वाला एक कानून है। यह कानून 10 मई, 1961 को पारित किया गया था और 1 जुलाई, 1961 को लागू हुआ था। इस कानून का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकना है। दहेज के कारण उत्पीड़न और हत्या।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • दहेज लेना या देना एक अपराध है।
  • दहेज लेने या देने पर पांच साल तक की कैद और 15,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
  • दहेज लेने या देने के लिए मजबूर करने पर भी सजा का प्रावधान है।
  • दहेज लेन-देन में शामिल किसी भी व्यक्ति को सजा हो सकती है।
  • इस कानून के तहत अपराधों की जांच के लिए विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 भारत में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून रहा है। इस कानून ने दहेज प्रथा को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, दहेज प्रथा अभी भी भारत में एक बड़ी समस्या है। इस कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।

और पढ़े – दहेज प्रथा पर निबंध – Dahej pratha par nibandh

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:

  • नकद या अन्य कीमती सामान विवाह के समय वर या वधू पक्ष द्वारा दिया जाता है।
  • विवाह के समय वर या वधू पक्ष द्वारा किए गए खर्च।
  • विवाह के समय वर या वधू पक्ष द्वारा की गई कोई भी वादा या आश्वासन।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज लेने या देने के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:

  • दहेज की मांग करना।
  • दहेज के लिए मना करने पर विवाह से इनकार करना।
  • दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित करना।
  • दहेज के लिए महिला की हत्या करना।

यदि आप या आपका कोई परिचित दहेज प्रथा से पीड़ित है, तो आप निम्नलिखित हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं:

  • राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन: 1800-102-9912
  • महिला हेल्पलाइन: 1091
  • सखी वन स्टॉप सेंटर: 1800-180-1234

आप दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के बारे में अधिक जानकारी के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार: URL महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।

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